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ओडिशा । ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद रेल यातायात बहाल हो गया है, लेकिन अस्पतालों में अब भी 101 शव ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। रेलवे और स्वास्थ्य विभाग के लिए अब यह काम बड़ी चुनौती बन गया है।इस बीच, मंगलवार को रेलवे बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में तय हुआ कि देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर ऑडिट होगा। खासतौर पर सिग्नल और सिक्योरिटी सिस्टम की जांच की जाएगी। अधिकारियों ने जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी है, ताकि जहां खामियां हो, वहां जरूरी एक्शन लिया जा सके।

मृतकों के फोटो जारी कर लोगों से अपील की गई है कि पहचान करने की कोशिश करें। भीषण रेल हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हुई है जबकि 1000 से अधिक घायल हुए हैं। दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पास ही दूसरी लाइन से गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस एसएमवी-बेंगलुरु-हावड़ा के आखिरी डिब्बों से टकरा गए थे।जान गंवाने वाले उन लोगों के शवों का दाह संस्कार के बाद अस्थियों का ससम्मान विसर्जन हरिद्वार में किया जाएगा, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेन्द्र ने यह जानकारी दीउन्होंने कहा, अस्थि कलशों को बालेश्वर से एकत्र कर पहले दिल्ली लाया जाएगा। फिर उन्हें दिल्ली से ले जाकर आठ अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल के सती घाट से विधि विधान से विसर्जित किया जाएगा। इसके लिए एक पत्र ओडिशा सरकार को भेज दिया गया है, जिसमें सरकार से अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को उन्हें सौंपने का आग्रह किया गया है। इसके लिए समिति का एक दल जल्द ओडिशा रवाना होगा।

सोमवार से सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी। सोमवार को की 10 सदस्यीय टीम के घटनास्थल पहुंचकर जांच शुरू करने की खबर है। खुर्दा रोड डिवीजन के डीआरएम रितेश राय ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार की जांच आरंभ हो चुकी है।

इस बीच रेलवे संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने भी घटनास्थल पर कंट्रोल रूम, सिग्नल रूम और सिग्नल प्वाइंट की जांच की। दुर्घटना की जांच सीबीआइ से कराने पर विपक्ष की आपत्ति पर सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि शुरुआती जांच में जानबूझकर सिस्टम से छेड़छाड़ के स्पष्ट संकेत मिले हैं। इस कारण केंद्रीय एजेंसी से गहन जांच कराने की आवश्यकता महसूस की गई है।

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