भोपाल की सौम्या तिवारी भारतीय टीम की उप-कप्तान थीं. फाइनल मैच की तनाव भरी स्थिति में सौम्या ने 24 रनों की अहम पारीखेली
डिजिटल भारत | साउथ अफ्रीका का पोचेफ्रेस्ट्रूम का सेनवेस पार्क. भारत की बल्लेबाजी चल रही थी. 14वें ओवर की आखिरी गेंद पर हैना बेकर ने गेंदडाली जिसे सौम्या तिवारी ने कवर्स की ओर खेला, वो सिंगल रन लेने दौड़ी और भारत के क्रिकेट इतिहास में अपना नाम दर्ज करवालिया. मां की कपड़े धोने वाली थपकी से खेलने वाली सौम्या ने अब अपने देश को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया है. उनकी जिद, उनके जुनूनने न सिर्फ उनका बल्कि उनके पूरे परिवार का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है.
भोपाल की रहने वाली सौम्या को अंडर 19 वर्ल्ड कप के लिए चुनी गई भारतीय टीम का उप-कप्तान बनाया गया था. इस बैटिंगऑलराउंडर ने पूरे टूर्नामेंट में बहुत बड़ी पारियां तो नहीं खेली लेकिन उनकी छोटी-छोटी पारियां भी टीम की जीत में अहम साबित हुई. उन्होंने टूर्नामेंट में 112 रन बनाए और तीन विकेट भी झटके. सौम्या की किस्मत ऐसी रही कि फाइनल मुकाबले में विनिंग शॉट भी उन्हीं केबल्ले से आया.
भोपाल की बिटिया ने जीती दुनिया
अकेडमी में लड़कियां नहीं होती थी ऐसे में सौम्या लड़कों के साथ ही खेलती थीं. कई बार उन्हें लड़की होने के कारण क्रिकेट टूर्नामेंट्स मेंहिस्सा लेने का मौका नहीं मिलता था. सौम्या निराश जरूरत होती थीं लेकिन टीम की खातिर वो बेंच पर बैठने को तैयार रहती थीं. सौम्या की मेहनत बेकार नहीं गई. पहले उन्हें जूनियर वुमेन टी20 चैलेंज में खेलने का मौका मिला और फिर वर्ल्ड कप में. आज टीमइंडिया की जीत ने पूरे भोपाल को अपनी बेटी पर गर्व करने का मौका दिया है और वो जश्न में डूबे हुए हैं.
मां की थपकी से खेला करती थीं सौम्या
भोपाल की रहने वाली सौम्या के पिता जिला कलेकट्रेट में काम करते थे. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब उनकापरिवार शाहजहानाबाद में रहता था तब सौम्या बहुत छोटी थीं. वो बचपन में अपनी मां की थपकी को बल्ला बनाती और कागज की गेंदसे क्रिकेट खेला करती थीं. सौम्या को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था, वो मोहल्ले में भी अकसर क्रिकेट खेलती लेकिन जब भी लड़केउन्हें अपने साथ खेलने से मना करते तो वो काफी निराश हो जाती थीं.
सौम्या को ट्रेनिंग देना चाहते थे सुरेश
जब सौम्या का परिवार भोपाल में आकर रहने लगा तो पिता ने बेटी को क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाने का फैसला किया. वो उसे सुरेश चैनानीकी अकेडमी में लेकर गए. हालांकि सुरेश ने सौम्या लड़की होने के कारण ट्रेनिंग देने से मना कर दिया. भारत की ऑफ स्पिनर का दिलटूट गया और वो दो दिन तक रोती रहीं. इसके बाद पिता फिर बेटी को लेकर गए और सौम्या की जिद और जुनून देखकर सुरेश ने उन्हेंअकेडमी में ट्रेनिंग करने का मौका दे दिया. सौम्या को जैसे बस इसी एक मौके का इंतजार था.