डिजिटल भारत l बॉडी शेमिंग आज के दौर में एक ऐसा सामाजिक मुद्दा है, जिससे हम सभी का कभी न कभी, किसी न किसी रूप में जरूर पाला पड़ा है। मगर इस मुद्दे पर बॉलिवुड में फन्ने खां और दम लगा के हईशा जैसी कम ही फिल्में बनी हैं। जाहिर सी बात’ है फिल्म अगर फैट फोबिया को लेकर होगी, तो फिल्म के नायक या नायिका को किरदार में वजनदार दिखना होगा और वजन बढ़ाकर पर्दे पर आने का दुस्साहस मेन स्ट्रीम की हीरोइनें कम ही करती हैं। सालों से रुपहले पर्दे पर भी तो नायिका की खूबसूरती और कद-काठ के तयशुदा मानक रहे हैं। दम लगा के हईशा में भूमि पेडनेकर ने 15 किलो वजन बढ़ाया था और अब निर्देशक सतराम रमानी की डबल एक्सएल के लिए सोनाक्षी सिन्हा और हुमा कुरैशी को भी तकरीबन इतना ही वजन बढ़ाना पड़ा है।
हेलमेट जैसी बोल्ड मुद्दे वाली फिल्म का निर्देशन कर चुके सतराम रमानी वाकई बॉडी शेमिंग जैसे बेहद ही सामयिक विषय पर फिल्म लेकर आए, कास्टिंग भी उनकी परफेक्ट रही, फिल्म भी उन्होंने अच्छी नियत से बनाई, मगर मगर कहीं न कहीं इस जरूरी मुद्दे वाले विषय की परतों को पूरी तरह से उकेरने में कामयाब नहीं रहे।
कहानी इतनी सिंपल है कि आप या आपके घर का कोई न कोई सदस्य इससे खुद को आइडेंटिफाई किए बिना नहीं रह पाएगा। मेरठ की राजश्री त्रिवेदी (हुमा कुरैशी) गहरी नींद में क्रिकेटर शिखर धवन के साथ डांस करने का मीठा सपना देख ही रही होती है कि मां अलका कौशल हल्ला करके बेटी को जगा देती है। मां बेटी की शादी की चिंता में आधी हुई जा रही है। बेटी 30 पार कर चुकी है, मगर उसकी शादी नहीं हो रही और मां इसकी वजह बेटी का मोटापा मानती है, जबकि दादी शुभा खोटे और पिता कंवलजीत अपनी हष्ट-पुष्ट बेटी को लेकर कूल हैं। राजश्री को शादी का कोई शौक नहीं, उसे तो क्रिकेट रिप्रेजेंटर बनना है। हालांकि उसकी मां दिन-रात एक ही बात रटती रहती हैं कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, शादी कर लो। वहीं दूसरी तरफ फैशन डिजाइनर सायरा खन्ना (सोनाक्षी सिन्हा) है,
जो अपना लेबल लॉन्च करने का सपना रखती है, उसका एक बॉयफ्रेंड है, जो जिम और फिटनेस का आशिक है। इन दोनों ही लड़कियों की परवरिश और सपने अलग हैं, मगर समाज और आस-पास के लोगों से उन्हें अपने मोटापे को लेकर एक ही तरह की हीनता महसूस होती है। सायरा अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर लंडन में अपना फैशन लेबल लॉन्च करने की तैयारी में ही है और उधर एक लीडिंग चैनल ने राजश्री को भी स्पोर्ट्स प्रेजेंटर के रूप में शार्ट लिस्ट कर लिया है, मगर तभी कुछ ऐसा होता है कि अपने साइज के कारण दोनों ही के सपने चूर-चूर हो जाते हैं। फिर उनकी जिंदगी में जोई (जहीर इकबाल) और श्रीकांत (महत राघवेंद्र) आते हैं और उनकी जिंदगी में बहुत कुछ बदलता है।
‘डबल एक्सएल’ में हुमा कुरैशी, सोनाक्षी सिन्हा, जहीर इकबाल, महत राघवेंद्र और कंवलजीत सिंह अहम किरदारों में हैं. हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा ने दो ऐसी महिलाओं का किरदार निभाया है, जो कि अपने मोटापे की वजह से करियर में ग्रोथ नहीं कर पाती हैं. हुमा कुरैशी के किरदार का नाम राजश्री त्रिवेदी और सोनाक्षी सिन्हा के किरदार का नाम सायरा खन्ना है. राजश्री और सायरा के ख्वाब बहुत ऊंचे हैं. एक को स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बनना है तो दूसरी को फैशन डिजाइनर, लेकिन इनके सपनों के साकार होने के बीच में इनका मोटापा आ जाता है. लोग इनके वजन की वजह से गंभीरता से नहीं लेते हैं. यहां तक कि सायरा के वजन की वजह से उसका बायफ्रेंड उसे धोखा तक देने लगता है. अपने जीवन में हताश और निराश राजश्री और सायरा की मुलाकात हो जाती है, जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल जाती है.
सेकंड हाफ में जिस चमत्कार की अपेक्षा की जाती है, वह दर्शक को नहीं मिलता और एक बेहद ही जरूरी मुद्दे वाली कहानी औसत बन कर रह जाती है। इसमें कोई शक नहीं कि फिल्म में कुछ स्ट्रॉन्ग मेसेज भी है, जो ये दर्शाता है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए शारीरिक रूप से बदलने के बजाय अपनी मानसिक कुंठा से छुटकारा पाना जरूरी है।
सिनेमैटोग्राफर के रूप में में मिलिंद जोग ने अच्छा काम किया है। लंडन की खूबसूरती उनके कैमरे की आंख से खूब नजर आती है। फिल्म का साउंडट्रेक ठीक-ठाक है। एडिटिंग थोड़ी चुस्त हो सकती थी।
शहरी लड़की के रूप में सोनाक्षी सिन्हा भी अपनी भूमिका के साथ इंसाफ करती हैं, मगर उनका चरित्र उतना लेयर्ड नहीं बन पाया है। दोनों अभिनेत्रियों की केमेस्ट्री पर्दे पर अच्छी लगी है। जोरावर रहमानी के चुलबुले किरदार में जहीर इकबाल मनोरंजन तो करते हैं, मगर कई जगहों पर ओवर एक्टिंग करते नजर आते हैं। श्रीकांत के रूप में महत रघुवंशी प्रोमिसिंग साबित हुए हैं। अलका कौशल 30 पार कर चुकी अनब्याही बेटी की मां के दर्द को बखूबी बयान करती हैं। शुभा खोटे और कंवलजीत छोटे-छोटे किरदारों में भी याद रह जाते हैं। सहयोगी कास्ट कहानी के अनुरूप है।