डिजिटल भारत I क्या आपको पता है कि तनाव न सिर्फ आपके मस्तिष्क बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली को भी नुकसान पहुंचाता है। ‘द अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन’ ने मानव शरीर की आंतरिक प्रणाली पर तनाव के प्रभावों के बारे में बताया है।
नर्वस सिस्टम
जब हम शारीरिक या मानसिक रूप से बहुत अधिक तनाव लेते हैं तो शरीर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल इससे निपटने में करता है जिसे फाइट या फ्लाइट रिस्पांस कहते हैं। इसमें नर्वस सिस्टम एडरनल ग्लैंड को एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल छोड़ने के निर्देश देते हैं। इन हार्मोन्स की वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है, बीपी बढ़ जाता है, पाचन क्रिया प्रभावित होती है और रक्त के प्रवाह में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है।
मांसपेशियां
तनाव के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव होता है। कई बार इसकी वजह से सिरदर्द, माइग्रेन या मांसपेशियों व हड्डियों से जुड़े परिवर्तन होते हैं।
श्वास संबंधी
तनाव की स्थिति में सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। कुछ लोगों को इस वजह से कई बार पैनिक अटैक आते हैं।
हृदय पर प्रभाव
कई बार थोड़ा सा भी तनाव हार्ट रेट को बढ़ा देता है और हृदय की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में हृदय द्वारा पंप किए गए रक्त को शरीर के दूसरे हिस्से में ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में अवरोध होता है। ऐसी स्थिति में दिल के दौरे की भी आशंका बढ़ जाती है।
इंटोक्राइन सिस्टम
जब शरीर तनाव में होता है तो दिमाग हाइपोथैलॉमस से सिग्नल भेजता है जिससे एडरनल ग्लैंड कॉर्टिसोल बनाता है और एडरनल मॉड्यूला इपाइनरफाइन नामक तनाव के हार्मोन बनाता है।
पर्याप्त नींद
रात में अगर आप एक अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो दिनभर थका-हारा मेहसूस करते हैं। अपर्याप्त नींद आपके मूड, मेंटल अवेयरनेस, एनर्जी लेवल और फिजिकल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए अगर आप स्ट्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं तो पर्याप्त नींद जरूर लें।
रिलैक्स करने की तकनीक सीखें
मेडिटेशन, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन, गाइडेड इमेजरी, ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी गहरी सांस लेना जैसे व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। योग एक पॉवरफुल रिलैक्सेशन टेकनीक है और स्ट्रेस-बस्टर है।
सोशल नेटवर्क को मजबूत बनाएं
अपने स्कूल फ्रेंड्स से लेकर दफ्तर के साथियों के साथ संपर्क में रहें। इसके अतिरिक्त किसी संगठन में शामिल होकर या किसी तरह से सहायता कर अपना सोशल नेटवर्क बनाएं जिससे जरूरत पर लोग आपका साथ दें और आपकी समस्या सुनें।
वक्त मिलने पर अपनी स्किल को निखारें
अगर आपके व्यक्तित्व में कुछ स्किल है तो खाली समय मिलने पर उसे निखारने की कोशिश करें। कुछ लोग काफी क्रिएटिव होते हैं लेकिन तमाम दफा वे अपना पूरा वक्त टेंशन में जाया कर देते है, बेहतर होगा वे खुद को अपने पसंदीदा काम में बिजी रखें। जितना अधिक कुशलता से आप अपने काम और परिवार की मांगों को जोड़ सकते हैं, आपके तनाव का स्तर उतना ही कम होगा।