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सलेम नानजुंदैया सुब्बाराव या सुब्बारावजी या देश भर के अनेकों के लिए सिर्फ़ भाईजी का अवसान एक ऐसे सिपाही का अवसान है जिससे हमारे मन भले शोक से भरे हों, लेकिन कामना है कि हम सबके दिल नए संकल्प से भर जाएं.

वे हारी हुई मन:स्थिति में, निराश और लाचार मन से नहीं गए, काम करते, गाते-बजाते थक कर अनंत विश्राम में लीन हुए हैं. यह वह सत्य है जिसका सामना हर किसी को करना ही पड़ता है और आपकी उम्र जब 93 साल छू रही हो तब तो किसी भी क्षण इस सत्य से सामना हो सकता है.

27 अक्तूबर, 2021 की सुबह छह बजे का समय सुब्बारावजी के लिए ऐसा ही क्षण साबित हुआ. दिल का एक दौरा पड़ा और उन्होंने ने सांस लेना छोड़ दिया. गांधी की कहानी के एक और लेखक ने विदा ले ली.

कभी अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्ति की लड़ाई थी तो कभी अंग्रेज़ियत की मानसिक ग़ुलामी से मुक्ति की. फिर नया मानवीय व न्यायपूर्ण समाज बनाने की रचनात्मक लड़ाई विनोबा-जयप्रकाश ने छेड़ी तो वहां भी अपना हाफ़पैंट मज़बूती से डाटे सुब्बाराव हाज़िर मिले.

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