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डिजिटल भारत I वन्यजीव प्रेमी अब रातापानी सेंचुरी में टाइगर सफारी कर सकते हैं। यहां पूरे 36 किमी में घूम सकेंगे। यह देश की पहली ऐसी सेंचुरी बन गई है, जहां टाइगर रिजर्व जैसी सफारी की शुरुआत हुई है। सफारी का रूट झिरी से लेकर करमई तक होगा। यह सेंचुरी का बफर जोन है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने पर यहां सफारी वाहन की संख्या बढ़ाई जाएगी।

सफारी किराया

झिरी से करमई तक प्रति व्यक्ति सफारी किराया 450 रुपए

झिरी से कैरी महादेव तक प्रति व्यक्ति किराया 400 रु.

अभी यहां प्राइवेट वाहनों को ‘पहले आओ- पहले पाओ  की तर्ज पर झिरी और करमई गेट से प्रवेश की अनुमति दी गई है। सफारी वाहन की संख्या बढ़ने पर प्राइवेट वाहनों का सेंचुरी के अंदर प्रवेश बंद कर दिया जाएगा। शनिवार को रातापानी सेंचुरी के डीएफओ विजय कुमार ने दो सफारी वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

पेंच टाईगर रिजर्व के वन क्षेत्रों का गौरवशाली इतिहास रहा है। इसके प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृद्धि का वर्णन आईने-अकबरी एवं अन्य कई प्राकृतिक इतिहास की पुस्तकें जैसे आर.ए. स्ट्रेन्डल की ‘‘सिवनी, कैम्प लाईफ इन दा सतपुड़ा” फोर्सेथ की ‘‘हाई लैण्डस आफ सेन्ट्रल इंडिया”  डनबर ब्रेन्डर की ‘‘वाईल्ड एनीमल्स आफ सेन्ट्रल इंडिया में है। स्टेन्डल की आत्मकथा जैसी किताब ‘‘सिवनी रूदियार्ड किपलिंग की ‘‘दा जंगल बुक” लिखने में मुख्य प्रेरणा स्त्रोत थी।

“दा जंगल बुक “ का क्षेत्र”

पेंच टाईगर रिजर्व एवं इसके आसपास का क्षेत्र रूडियार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध ‘‘दा जंगल बुक” का वास्तविक कथा क्षेत्र है। रूडियार्ड किपलिंग ने आर.ए. स्ट्रेन्डल की पुस्तक ‘‘सिवन”, ‘‘मैमेलिया आफ इंडिया एण्ड सीलो “और ‘‘डेनीजेन्स आफ दा जंगल” को भौगौलिक संरचनाओं तथा वन्य प्राणियों के व्यवहार के लिए आधार बनाया था। मोंगली की कल्पना सर विलियम हेनरी स्लीमेन के पैम्पलेट ‘‘एन एकाउन्ट आफ वूल्फ्स नरचरिंग चिल्ड्रेन इन देयर डेनस” से की गयी है। जिसमें वर्ष 1831 में सिवनी के पास सन्तबावड़ी नामक ग्राम में भेड़ियो के साथ पले-बढ़े एक बालक के पकड़े जाने की रिपोर्ट है। ‘‘दा जंगल बुक” में वर्णित स्थान, वैनगंगा नदी, उसकी घाटी जहां शेर खान मारा गया था, ग्राम कान्हीवाड़ा और सिवनी की पर्वत मालायें आदि सिवनी जिले में वास्तविक स्थान है।

वर्ष 1977 में 449.39 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र को पेंच अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित किया गया था। वर्ष 1983 में इसमें से 292.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को पेंच राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था, एवं 118.47 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पेंच अभ्यारण्य के रूप में रखा गया। वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पेंच राष्ट्रीय उद्यान, पेंच अभ्यारण्य एवं कुछ अन्य वन क्षेत्रों को सम्मिलित कर 757.850 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को देश का 19 वां प्रोजेक्ट टाईगर रिजर्व बनाया गया। वर्ष 2002 में पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच अभ्यारण्य का नाम क्रमशः इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान एवं पेंच मोगली अभ्यारण्य रखा गया। पेंच जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1973 से 1988 के मध्य पेंच नदी पर तोतलाडोह जलाशय का निर्माण किया गया। जिससे 72 वर्ग कि.मी. क्षेत्र डूब में आया। इसमें से 54 वर्ग कि.मी. डूब क्षेत्र मध्यप्रदेश एवं शेष महाराष्ट्र में है।

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