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आप स्मार्ट फ़ोन भी रखें और उसकी जासूसी से बचे रहें, ये दोनों बातें साथ-साथ मुमकिन नहीं हैं और लोगों को ये बात समझने की ज़रूरत है.’

तकनीकी कंपनी आर्मा (ARMA) के प्रमुख पिम डोनकर्स स्मार्ट फोन्स की सुरक्षा की कमज़ोरियां बताते हुए ऐसा कहते हैं.

स्विट्ज़रलैंड स्थित उनकी कंपनी अति सुरक्षित संचार उपकरण तैयार करती है.

डोनकर्स स्मार्ट फ़ोन्स की तुलना मधुमक्खी के छत्ते से करते हैं जिसमें कोई भी तीसरा पक्ष आसानी से आ-जा सकता है और उड़ाए गए डेटा का ग़लत इस्तेमाल कर सकता है, उसे बेच भी सकता है.

स्मार्टफ़ोन्स की सुरक्षा को लेकर उन जैसे लोगों की चिंता को हाल में सामने आए मामले जैसे पेगासस कांड से और बल मिला है.

इस सॉफ़्टवेयर को इसराइल की एनएसओ ग्रुप तैयार करती है.

जुलाई में ये बात सामने आई कि स्पाई सॉफ़्टवेयर पेगासस को एंड्राएड और आईफ़ोन में इंस्टॉल किया जा सकता है और उसकी मदद से मोबाइल से मैसेज, तस्वीरों और ई-मेल्स को निकाला जा सकता है.

सिक्योर कैमरा बनाने वाली कंपनी लोटेक्स के बिज़नेस हेड लैरी पेंग कहते हैं, “हम दिन रात इस तरह की ख़बरें पढ़ते हैं जिसमें डेटा ब्रीच, हैक, और दूसरे तरह की घुसपैठ की बातें होती हैं जिससे अंदाज़ा होता है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां और सरकारें जिन्होंने हमें सुरक्षित रखने का वादा किया हुआ है, वो अपने फ़ायदे के लिए हमारी पीठ पीछे इस तरह के काम कर रही हैं.”

ऐसी आशंकाओं के बाद कंपनियां इस तरह के मोबाइल डिवाइसेज़ बेच रही हैं जिन्हें वो अल्ट्रा सिक्योर बताती हैं.

ये कॉल्स की रिकार्डिंग भी कर सकता है और इसके सहारे माइक्रोफोन और कैमरा को भी संचालित किया जा सकता है, जिससे उस डिवाइस को इस्तेमाल करने वाले की बातों को सुना जा सकता या उसकी तस्वीरें या वीडियो तैयार की जा सकती हैं.

पहले समझा जाता था कि इस तरह की तकनीक कुछ ही देशों के पास है लेकिन अब बहुत सारे देश, व्यक्ति और छोटे समूहों तक इनकी पहुंच है.

इन चिंताओं के बाद, ग्राहकों में ऐसे प्रोडक्ट्स को लेकर दिलचस्पी पैदा हुई है जो सुरक्षित होने के नाम पर बेचे जा रहे हैं. इनमें वैसे स्मार्टफ़ोन्स भी शामिल हैं जिन्हें इंक्रिप्ट किया जाता है और उनमें ऑनलाइन सर्च, मैप्स को लेकर भी विकल्प होते हैं.

हाल में अमेरिका के एक रिसर्च में सामने आया कि क़रीब 50% लोगों को ये लगता है कि उनकी ऑनलाइन गतिविधि पर सरकार की नज़र है. 72% का कहना था कि वो महसूस करते हैं कि जब वो अपने फ़ोन का प्रयोग करते हैं तो उनपर विज्ञापन, तकनीक और दूसरी तरह की कंपनियों की नज़र रहती है.

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