
जबलपुर में हाल ही में 18 दिनों के भीतर 8 घोड़ों की संदिग्ध मौत ने पशुपालन विभाग को अलर्ट कर दिया है। इन घोड़ों को हैदराबाद से रेसकोर्स के लिए लाया गया था, और उनकी मौत के कारणों की जांच की जा रही है। पशुपालन विभाग ने ग्लैंडर (Glanders) बीमारी की आशंका जताई है, जो घोड़ों, खच्चरों और गधों में होने वाली एक संक्रामक और घातक बीमारी है।
फार्म में लाये गये 57 घोड़ों में से 8 घोड़ों की मौत हो जाने के बाद अश्व पालक सचिन तिवारी निवासी को पशुचिकित्सा विभाग को कुछ घोड़े बीमार होने की सूचना दी गई । बायोसेफ्टी सतर्कता बरतते हुए सभी 57 अश्वों के ब्लड सीरम सेम्पल लेकर संचालक आईसीएआर राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार हरियाणा को जाँच हेतु भेजे गये ।
पशुपालन विभाग ने जबलपुर में ग्लैंडर बीमारी के संभावित प्रकोप के मद्देनजर सतर्कता बढ़ा दी है। रेसकोर्स में लाए गए घोड़ों की मौत के कारणों की जांच की जा रही है, और संक्रमित क्षेत्रों में अन्य घोड़ों की जांच की जा रही है। ग्लैंडर बीमारी के मामलों में संक्रमित जानवरों को मारने की सिफारिश की जाती है, और आसपास के क्षेत्रों में संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जाती है।
ग्लैंडर बीमारी: क्या है और कैसे फैलती है?
ग्लैंडर बीमारी, जिसे ‘फार्सी’ भी कहा जाता है, बैक्टीरिया Burkholderia mallei के कारण होती है। यह बीमारी मनुष्यों सहित कई प्रजातियों में फैल सकती है। ग्लैंडर का संक्रमण संक्रमित जानवरों के शारीरिक स्रावों, जैसे नाक के स्राव, के संपर्क में आने से होता है। यह बीमारी अत्यधिक संक्रामक और जानलेवा होती है, और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो जानवर की मृत्यु हो सकती है।
ग्लैंडर बीमारी के लक्षणों में बुखार, खांसी, नाक से स्राव, त्वचा पर घाव और श्वसन संबंधी समस्याएं शामिल हैं। यदि इन लक्षणों का समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानवर की मृत्यु का कारण बन सकती है।
मनुष्यों में संक्रमण
ग्लैंडर बीमारी मनुष्यों में भी फैल सकती है, हालांकि यह दुर्लभ है। मनुष्यों में यह बीमारी संक्रमित जानवरों के शारीरिक स्रावों के संपर्क में आने से हो सकती है। इसलिए, संक्रमित जानवरों के साथ काम करते समय उचित सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है।
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